नारायणपुर। बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात् विवाह को स्वीकार नहीं करते है, तो बालिग होने के पश्चात् विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते हैं। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है।
कलेक्टर बिपिन मांझी द्वारा समाज में व्याप्त इस बुराई के पूर्णतः उन्मूलन हेतु जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकाय, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संगठनों एवं आमजनो से सहयोग प्राप्त कर इस प्रथा के उन्मूलन हेतु कारगर कार्यवाही करते हुए जिले के आस-पास क्षेत्रों में होने वाले बाल विवाह की रोकथाम हेतु जिला बाल संरक्षण इकाई (महिला एवं बाल विकास विभाग), आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पुलिस थाना एवं चाईल्ड लाईन हेल्प नम्बर 1098 में सूचना देकर बाल विवाह की सामाजिक बुराई को समाप्त करने हेतु अपील किया गया है।
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