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जैनसंत श्री विरागमुनि जी का मंगल प्रवेश आज, सदर बाजार से दादाबाड़ी तक निकलेगा भव्य वरघोड़ा

 

रायपुर। आज का युवा केवल तारीफ का भूखा है, उसे सिर्फ अपनी तारीफ सुनना पसंद है। चार लोगों के सामने कोई तारीफ कर दे तो क्या ही कहना, इज्जत के महल में चार चांद लग गए हो मानो। यह सत्य है। किसी को अपनी तारीफ और सम्मान में कमी नहीं चाहिए। किसी ने जरा सा भी उपर नीचे कुछ कह दिया तो देखिए फिर। आज कल बड़े-बड़े रिश्ते भी झूठे तारीफों के पूल पर ही टिके हुए हैं। झूठी तारीफ पाने के लिए सब आतुर है, जबकि आपको पता है कि सामने वाला व्यक्ति झूठी तारीफ कर रहा है फिर भी आप फुले नहीं समाते हो। अगर आपको पता है कि कोई आपकी झूठी तारीफ कर रहा है तो आप उससे किनारा कर सकते है लेकिन आप ऐसा नहीं करते है। ऐसा व्यक्ति आपसी संबंधों को बांधे रखने या फिर अपने निजी स्वार्थ सिद्ध करने के लिए करता है। अब यह निर्भर करता है कि आपको ऐसे व्यक्ति से संबंध रखना है या नहीं। यह बातें राजधानी के सदर बाजार स्थित जैन मंदिर में चल रहे प्रवचन श्रृंखला "जिनवाणी की वर्षा" के दौरान रविवार को दिर्घ तपस्वी प.पू. श्री विरागमुनि जी म.सा. ने कही। 

मुनिश्री कहते है कि आज झूठ बोलने की नौबत क्यों आ रही है, यह समझने वाली बात है। आज आपको अगर एक दिन में चार शादियां अटेंड करनी है तो आप छोटे भाई, संतान और बुजुर्गाें को केटेगरी देख कर अलग-अलग पार्टियों में शामिल होने भेज देते हो। वहीं, जब धर्म की बात आती है तो आप व्यापार को पुत्र के हवाले कर खुद धार्मिक आयोजनों में शामिल हो जाते हो। ऐसा इसलिए क्योंकि आप डरते हो कि कहीं आपका पुत्र जो आपका उत्तराधिकारी है, वह गुरूवाणी से प्रभावित न हो जाए। जबकि आप खुद व्यापार संभालते और बच्चों को धर्म सभाओं में भेजते तो आज यह नौबत आती ही नहीं कि आपको अपने बच्चों को समझाना या डांटना पड़े। हमें इस भव में आत्मा के गुणों में सुधार करना है। वैसे इसमें बच्चों की कोई गलती नहीं बल्कि माता-पिता और दादा-दादी की है। उन्होंने बचपन से बच्चों को यह संस्कार दिये होते तो आज यह नौबत आती ही नहीं। जबकि आज तो लोग धन-संपत्ति कमाने के लिए पाप की गिनती नहीं गिनते, उलटा पाप के रास्ते पर चलने लग जाते है। आपको पुण्य चुनना है क्योंकि पाप के रास्ते आसान तो होते है लेकिन जब पाप से आपका मन भर जाता है तो पुण्य के ट्रैक पर आपका वापस आना मुश्किल हो जाता है फिर आपको बहुत पुरूषार्थ करना पड़ता है। 

रायपुर की पावन धरा में 20 जुलाई से जैन संत दीर्घ तपस्वी श्री विरागमुनि जी का चातुर्मास प्रारंभ होने जा रहा है। उन्होंने रविवार को अपना 120वां उपवास पूरा कर लिया है और सोमवार को मंगल प्रवेश के दिन उनका 121वां उपवास होगा। इन उपवास के बाद पारणा वे उनके द्वारा लिए गए संकल्प पूर्ण होने के बाद करेंगे। उपवास के दौरान वे केवल दिन में गर्म पानी का सेवन करते हैं। 

आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के अध्यक्ष पारस पारख, महासचिव नरेश बुरड़ और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि रायपुर को इस वर्ष श्री विरागमुनि जी के वर्षावास का सौभाग्य मिला है और इसी कड़ी में सोमवार को मुनिश्री का दादाबाड़ी में मंगल प्रवेश होगा और सुबह 7.30 बजे सदर बाजार जैन मंदिर से दादाबाड़ी तक भव्य वरघोड़ा निकाला जाएगा। मुनिश्री के मंगल प्रवेश के लिए देशभर से श्रावक-श्राविकाएं रायपुर की पावन धरा पर पधार चुके हैं।


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