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सांसारिक दुखों का नाश करने के लिए करते है शांति धारा : श्रेयश जैन 'बालू'

रायपुर। आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर (लघु तीर्थ) मालवीय रोड में श्रावण कृष्ण हरियाली अमावस्या निर्वाण संवत 2550, 4 जुलाई को विश्व शांति एवं समाज कल्याण के लिए शांति धारा एवं णमोकार मंत्र पूजन का आयोजन किया गया। पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया कि आज प्रातः 8 बजे पार्श्वनाथ भगवान की बेदी के समक्ष आध्यात्मिक प्रयोगशाला के माध्यम से 23 वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान की स्फटिक मणि की प्रतिमा को विराजमान कर प्रक्षाल किया गया। विश्व में शांति, समाज कल्याण, के लिए शांति धारा बड़े ही श्रद्धा एवं विश्वास के साथ की गई। आज की शांति धारा का सौभाग्य अक्षत जैन,शैलेंद्र जैन को प्राप्त हुआ।

श्रेयश जैन बालू ने बताया कि आज हर मनुष्य किसी न किसी कारण से दुखी रहता है। इन सांसारिक दुखों का नाश करने के लिए हम प्रभु शांति धारा करते है, जिसमें शांति नाथ एंव पा‌र्श्वनाथ प्रभु की अराधना में हम कहते है कि विघ्नों का नाश हो और जीवों को आनंद, यश, धन, धान्य की वृद्धि हो इसके लिए कहते हैं (कुरु-कुरु) फिर संपूर्ण विश्व में शांति हो, समृद्धि हो, सभी का कल्याण हो, दीर्घायु हो, कुल गोत्र का वृद्धि हो और देश प्रदेश, नगर परिवार में शांति हो ऐसी मंगल कामना करते हैं। इस प्रकार धार्मिक कार्य किए जाने से समाज तथा परिवार में भाईचारा, विश्वास, श्रद्वा तथा प्रेम का संचार होता है। प्रभु की शांति धारा को विस्तार से समझाते हुए। उन्होंने कहा कि प्रभु भक्ति से परिवार में समृद्धि, आत्मकल्याण, आत्मिक शांति आदि आती है। आपसी भेदभाव, कलह मिट जाते हैं। आपसी संबंध मजूबत होते हैं। इस सब से पुष्टि, वृद्धि, शांति, कल्याण, कार्य सिद्ध होते हैं। सभी प्रकार के विघ्न मिट कर का संतोष मिलता है। मन पवित्र बनता है। सभी दोष दूर होते हैं। ज्ञान तथा चरित्र में बढोतरी होकर सुखमय बनता है। भय व दोष दूर होता है। जीवन आनंदमय बन कर व्यतीत होता है। अच्छे संस्कार उत्पन्न होते हैं। और अंत में सम्पूजकानां प्रतिपालकानां, यतीन्द्र-सामान्य-तपोधनानाम्।

देशस्य राष्ट्रस्य पुरस्य राज्ञ:, करोतु शान्तिं भगवान् जिनेन्द्र मतलब उपासक, रक्षक, यतीन्द्र, सामान्य, तपस्या के धनी। देश, राष्ट्र और नगर के राजा, भगवान जिनेन्द्र शांति प्रदान करें ऐसी मंगल भावना के साथ शांति धारा की जाती है। आज के इस अवसर पर  विशेष रूप से श्रेयश जैन बालू,प्रवीण जैन मामा जी, शैलेंद्र जैन, राशु जैन, प्रणीत जैन,लोकेश जैन,कृष जैन,लोकेश जैन,पलक जैन,अक्षत जैन उपस्थित थे।


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