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वन्यप्राणियों की सुरक्षा एवं निगरानी के संबध में चरवाहा सम्मेलन का आयोजन

 


बलौदाबाजार। विगत छह माह से जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के अंतर्गत विचरण कर रहें बाघ के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु आज वनमंडल स्तरीय चरवाहों का एक दिवसीय सम्मेलन सह कार्यशाला बारनवापारा अभ्यारण्य में आयोजन किया गया। कार्यशाला में उपवनमंडलाधिकारी कसडोल आई.एफ.एस अक्षय दिनकर भोसले के द्वारा  पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बाघ के व्यवहार एवं अन्य गतिविधियों के बारे में बारीकी से विस्तृत जानकारी साझा किया गया।

उनके द्वारा बाघ विचरण क्षेत्र में की जाने वाली गतिविधियों, ट्रैकिंग के संबंध में निर्धारित स्टैंडर् आपरेटिंग प्रोसीजर SOP एवं विचरण क्षेत्र में विभिन्न वन्यप्राणियों के खान-पान और व्यवहार के बारे में विस्तार से चर्चा कर जानकारी दी गई। वनमण्डलाधिकारी बलौदाबाजार मयंक अग्रवाल के द्वारा विगत लगभग 06 माह से क्षेत्र में विचरण कर रहे बाघ के संबंध में विस्तृत जानकारी साझा किया गया। मानिटरिंग हेतु वनमण्डल अंतर्गत 250 ट्रैप कैमरा के मदद से बाघ विचरण की सतत् निगरानी की जा रही है। बाघ की सुरक्षा हेतु विशेष स्थानीय ग्रामीणों की मद्द से बाघ निगरानी दल बनाया गया है।

वनक्षेत्रों में किसी भी प्रकार से जनहानि, जनघायल, पशुहानि, फसल हानि, एवं अन्य सम्पत्ति की क्षति होने पर तत्काल सूचित करने तथा अवैध शिकार एवं वन्यप्राणियों की जानकारी प्राप्त होने पर तत्काल वन विभाग को सूचित करने हेतु कार्यशाला में उपस्थित चरवाहों तथा ग्रामीणों से अपील किया गया। इसके साथ ही विभागीय अधिकारियों द्वारावन्यप्राणियों के द्वारा किये गये जनहानि पर 6 लाख लाख रू. जनघालय के दौरान पूर्ण रूप से अपंगता होने पर 2 लाख रू.सामान्य जनघायल पर 5 लाख 91 हजार रूपये पशु हानि होने पर अधिकतम 30 हजार रू. तथा फसल, मकान एवं अन्य क्षति होने पर मुल्यांकन अनुसार क्षतिपूर्ति राशि शासन द्वारा प्रदान की जाने की जानकारी दिया।

वनक्षेत्रों में अवैध शिकार, बिजली हुकिंग तथा अन्य अवैध गतिविधियों की जानकारी होने पर वन विभाग को प्राथमिकता से सूचित करने पर वन विभाग के द्वारा प्रदाय किये जाने वाली गोपनीय पुरूस्कार राशि से अवगत कराया गया। ग्रामीणों को वन विभाग से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या हो तो सुविधानुसार निकटम वनाधिकारी / जांच नाकों में सूचित करने हेतु अह्वान किया गया ताकि, त्वरित कार्यवाही कर समस्यों का निराकरण किया जा सके।

अभ्यारण्य के अंतर्गत स्थित ग्राम तालदादर के निवासी चरवाहा पंचराम बरिहा के द्वारा वनक्षेत्र में अपने मवेशियों को चराने ले गये थे, इसी दौरान बाघ के द्वारा उनके बैल के गर्दन पर हमला कर शिकार करने का प्रयास किया जा रहा था, उसे देखकर पंचराम बरिहा के द्वारा अपने बैल की जान बचाने हेतु शोर मचाते हुये लाठी को जमीन तथा पत्थर में पटक-पटकर कर बैल को बाघ से शिकार होने से बचाया गया तथा संपूर्ण घटना की जानकारी वनाधिकारियों को बताया। पंचराम बरिहा को उनके घायल बैल के इलाज की क्षतिपूर्ति तथा उनके सूझबुझ एवं सहासिक कार्य के लिए सम्मेलन में वनमंडलाधिकारी बलौदाबाजार के द्वारा 1000 रूपये पुरूस्कृत कर सम्मानित किया गया। ग्राम मुड़पार के चरवाहा रामलाल गोंड़ के द्वारा बताया गया की जब वे बाल्य अवस्था (8-9 वर्ष) में थे, तब अभ्यारण्य नहीं बना हुआ था, सन् 1960-65 के आस-पास बारनवापारा अभ्यारण्य में काफी संख्या में बाघ थे।

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