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पाकिस्तान का टूट गया घमंड! नवाज शरीफ ने भारत से रिश्ते शुरू करने की लगाई गुहार, कहा- हमने 70 साल लड़ते बिता दिए...

इस्लामाबाद: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का पाकिस्तान का दौरा करने के बाद पाकिस्तान के सुर बदले नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन के नेता नवाज शरीफ ने तो भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की सार्वजनिक तौर पर अपील कर डाली। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने तो यहां तक कह दिया कि भारत और पाकिस्तान को अब अतीत को भुलाकर आगे की तरह देखना चाहिए और अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए। शरीफ की इस टिप्पणी को भारत से रिश्तों को सुधारने की पहल के रूप में देखा जा रहा है।

गुरुवार को भारतीय पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत में तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके और सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के अध्यक्ष ने जयशंकर की यात्रा को ‘अच्छी शुरुआत’ बताया। दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लाहौर की अचानक यात्रा की सराहना करते हुए शरीफ ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों में 'लंबे समय से जारी ठहराव' से खुश नहीं हैं और उम्मीद जतायी कि दोनों पक्षों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। नवाज (74) ने कहा, 'हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते, न ही पाकिस्तान और न ही भारत। हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए।'

दोनों देश के बीच पुल बनना चाहते हैं नवाज

जब उनसे पूछा गया कि क्या दोनों देशों के बीच ‘सेतु’ बनाने की आवश्यकता है, तो उन्होंने कहा, 'मैं यही भूमिका निभाने का प्रयास कर रहा हूं।' जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए करीब 24 घंटे की यात्रा पर इस्लामाबाद पहुंचे। दोनों देशों के संबंधों में जारी तनाव के बीच पिछले नौ वर्षों में भारत के विदेश मंत्री का पाकिस्तान का यह पहला दौरा था।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बड़े भाई नवाज ने कहा, 'चीजें इसी तरह आगे बढ़नी चाहिए। हम चाहते थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आएं, लेकिन यह अच्छा हुआ कि भारतीय विदेश मंत्री आए। मैंने पहले भी कहा है कि हमें अपनी बातचीत के क्रम को आगे बढ़ाना चाहिए।'

'70 साल लड़ते हुए बिता दिए'

उन्होंने कहा, 'हमने 70 साल इसी तरह (लड़ाई करते हुए) बिताए हैं और हमें इसे अगले 70 सालों तक नहीं चलने देना चाहिए। हमने (पीएमएल-एन की सरकारों ने) इस रिश्ते को चलने देने के लिए कड़ी मेहनत की है। दोनों पक्षों को बैठकर चर्चा करनी चाहिए कि आगे कैसे बढ़ना है।' एससीओ सम्मेलन के दौरान भारतीय और पाकिस्तानी विदेश मंत्रियों के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई। हालांकि, पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जयशंकर की यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों में लंबे समय से जमी बर्फ पिघली है।

नवाज शरीफ ने जयशंकर की इस्लामाबाद यात्रा को एक अच्छी 'शुरुआत' बताया। शरीफ ने कहा, 'हमें अतीत में नहीं जाना चाहिए और भविष्य की ओर देखना चाहिए। बेहतर होगा कि हम अतीत को दफना दें ताकि हम दोनों देशों के बीच के अवसरों का इस्तेमाल कर सकें।' वर्ष 2016 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा भारत पर किए गए कई हमलों के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय वार्ता न करने का फैसला किया और कहा कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। शरीफ ने 25 दिसंबर, 2015 को काबुल से लौटते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाहौर के अचानक हुए दौरे को भी याद किया। उन्होंने कहा, 'जब प्रधानमंत्री मोदी ने काबुल से मुझे फोन किया और मुझे मेरे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं, तो मैंने कहा कि उनका बहुत स्वागत है। वह आए और मेरी मां से मिले। ये कोई छोटी चीज नहीं है, इनका हमारे लिए, खास तौर पर हमारे देशों के लिए कुछ मतलब है। हमें इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।'


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