कोरबा।अजगरबहार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से मेडिकल कालेज के लिए रेफर की गई कोरवा आदिवासी प्रसूता का प्रसव रास्ते में हो गया। एंबुलेंस में आक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी, इसकी वजह से उसकी हालत गंभीर हो गई।अस्पताल में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
स्वास्थ्य विभाग की संस्थागत प्रसव सुविधा की पाेल जिले में नवजात बच्चों की हो रही मौत से खुल गई है। प्रसव जैसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए महतारी एक्सप्रेस की सुविधा तो दी गई है, लेकिन इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन टीम की सुविधा नहीं होने का खामियाजा प्रसूति व नवजात को भुगतना पड़ रहा है। अजगरबहार क्षेत्र के कदमझरिया गांव में रहने वाली विशेष संरक्षित पहाड़ी कोरवा समुदाय की गुरुवती को प्रसव पीड़ा होने पर सोमवार की देर रात स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। यहां डाक्टर उपलब्ध नहीं थे। मौजूद नर्सों ने जांच के बाद गुरुवती को जिला मेडिकल कालेज रेफर कर दिया।
रास्ते में ही महिला का प्रसव हो गया। एंबुलेंस वाहन में आक्सीजन की उपलब्धता नहीं थी, इससे बच्चे की स्थिति बिगडी। किसी तरह मां- बच्चे को मेडिकल कालेज अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया। मामले जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा एसएन केसरी का कहना है कि बच्चे को जब तक अस्पताल लाया गया, वह जीवित था। प्रसव के दौरान बच्चे के सिर पर अधिक दबाव पड़ गया था। मस्तिष्क के नस में तनाव की वजह से बच्चे की मौत हुई है। उनका कहना है की महतारी एक्सप्रेस में शासन के स्तर पर ही आक्सीजन का प्रविधान नहीं रखा गया है।
यहां बताना होगा कि एक दिन पहले ही करतला विकासखंड के जोगीपाली में रहने वाले बिहारीलाल राठिया की पत्नी कांति राठिया को प्रसव पीड़ा होने पर घर में ही उसका प्रसव गांव के ही महिलाओं ने कराया। प्रसव होने के बाद प्लेसेंटा बाहर नहीं आया। इसके बाद स्वजन प्रसूता और जन्म लेने वाले जुड़वा बच्चों को लेकर करतला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां प्राथमिक उपचार के बाद प्रसूता और बच्चों की तबियत बिगड़ने पर तीनों को सरकारी एंबुलेंस से मेडिकल कालेज अस्पताल रेफर किया गया। रास्ते में प्रसूता की सांस फूलने लगी। पति बिहारी राठिया का आरोप है कि एंबुलेंस में आक्सीजन नहीं था, इसलिए उनकी हालत अधिक खराब हो गई। मेडिकल कालेज पहुंचने के बाद इलाज शुरू होने से पहले ही तीनों ने दम तोड़ दिया था।
0 Comments