भिलाई। शासकीय इंदिरा गांधी वैशाली नगर महाविद्यालय भिलाई में जनजाति समाज के गौरवशाली अतीत विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया . प्राचार्य डॉ अल्का मेश्राम के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ वेदवती मंडावी , डॉ आशुतोष मंडावी तथा डॉ मृणाल सिंह वक्ता थे। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती मां के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलन व भगवान बिरसा मुंडा , रानी दुर्गावती, गुंडाधुर और भारत माता के तैलचित्र पर पुष्प अर्पण के साथ प्रारंभ किया गया।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड पर आयोजित किया गया, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी यू.एस.ए. से डॉ मृणाल सिन्हा (एसोसिएट प्रोफेसर) ऑनलाइन मोड पर थेद्य डॉ मृणाल सिन्हा ने जनजातीय समाज पर अनेक शोध किए हैं उस शोध कार्य को हम सबके साथ साझा करते हुए ,जनजाति समाज के बारे में कहा-जनजातियों की वर्तमान स्थितियों व स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और योगदान विषय पर अपना सारगर्भित वक्तव्य प्रस्तुत किया।
इसी क्रम में कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय रायपुर पत्रकारिता एवं जनसंपर्क विभाग से पधारे हुए प्रोफेसर डॉ आशुतोष मंडावी ने अपने उद्बोधन में कहा कि- जनजाति भगवान बिरसा मुंडा, रानी दुर्गावती, गुंडाधुर, शहीद वीर नारायण सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, राजाओं, महाराजाओं ने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों का विरोध करते हुए अनेक जनजातियों के प्रतिनिधियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को स्वतंत्र बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
इसी क्रम में सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ वेदवती मंडावी ने जनजातीय समाज पर जानकारी देते हुए कहा- नजातीय समाज की संस्कृति, सभ्यता,परंपरा और उनके योगदान विशेष कर मोहनजोदड़ो, हड़प्पा संस्कृति व स्वाधीनता संग्राम में हुए शहीदों केगदान,गोड़ जनजातियों की गोटुल परम्परा और टोटम व्यवस्था के माध्यम से जीव-जंतुओं व पेड़-पौधे की सुरक्षा करना महत्वपूर्ण पहल है। प्राचार्य डॉ अलका मेश्राम ने अपने उद्बोधन में जनजातीय आंदोलन जैसे कुकी आंदोलन,संथाल आंदोलन का जिक्र करते हुए रानी दुर्गावती के बलिदान से सबको रूबरू कराया। कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक व कार्यक्रम समन्वयक डॉ चाँदनी मरकाम ने किया।
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